भारतीय सेना में ऑपरेशन सिंदूर के तहत AI और स्वदेशी ऐप्स का उपयोग

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OPERATION SINDOOR: भारत को पता था कि पाकिस्तान की मदद करने के लिए चीन सबसे आगे है. चीन तकनीक के मामले में तेज है. लेहाजा भारत ने भी दोनों देशों की जुगलबंदी को देखते हुए अपने ही AI ताकत कर विकसित करना शुरू किया. इस वक्त भारत के पास जिसने भी कम्यूनिकेशन सिस्टम है वो सबसे अलग है. किसी भी तरह के ब्रीच की कोई गुंजाइश ही नही. AI के इस्तेमाल से भारतीय सेना के तीनों अंगों ने मिलकर पाकिस्तान को उनके चीनी हथियारों के साथ ही मात दे दी.

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ऑपरेशन सिंदूर में AI ने कर दिया कमाल, 23 स्वदेशी ऐप्स ने बजा दी पाक की बैंडऑपरेशन सिंदूर में AI ने जीत कर दी आसान

OPERATION SINDOOR: AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब एक ऐसा हथियार बनकर उभरा है, जिसने पारंपरिक युद्ध के तरीकों को ही बदल दिया है. भारतीय सेना ने “ऑपरेशन सिंदूर” में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर AI का इस्तेमाल किया. भारतीय सेना द्वारा 23 स्वदेशी एप्लिकेशन विकसित किए गए, जिनके माध्यम से सटीक हमलों को अंजाम दिया गया और पाकिस्तानी पलटवार को सीमित कर दिया गया. पूर्व DG (इंफो ऑपरेशंस) और मौजूदा DG EME लेफ्टिनेंट जनरल राजीव कुमार सहानी ने इसका खुलासा किया. उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान डेटा और इनपुट के प्रबंधन के लिए 23 से ज्यादा एप्लिकेशन का उपयोग किया गया था. कमांडरों को एक इंटीग्रेटेड ऑपरेशनल पिक्चर मिल रही थी, जिसमें डेटा फ्यूज़न और AI का उपयोग शामिल था. इन ऐप्स के विशिष्ट उपयोग थे, और उन्हें कमांडरों तथा अन्य सैन्य अधिकारियों ने अपनी भूमिकाओं के अनुसार प्रयोग में लिया.

स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम
यह प्रणाली पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित एप्लिकेशन है, जिसका उपयोग सभी भारतीय खुफिया एजेंसियां करती हैं. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस सिस्टम को बहुत कम समय में एजेंसियों की आवश्यकताओं के अनुसार मॉडिफाई किया गया. इसकी मदद से दुश्मन के सेंसर की पहचान करना संभव हुआ. ले. जनरल सहानी ने बताया कि सामान्यत: पाकिस्तान ने पूरे सीमा क्षेत्र में रडार, वेपन लोकेटिंग रडार, एयर डिफेंस रडार, और सर्फेस-टू-एयर मिसाइल बैटरियाँ तैनात की हुई थीं. भारतीय सेना के सेंसर लगातार इनकी जानकारी एकत्र कर रहे थे, जिसे एक्सेल शीट में दर्ज किया जाता था. दो वर्षों के डेटा को एकत्र कर, उसे एप्लिकेशन में इंटीग्रेट किया गया, जिससे उपकरणों की फ्रीक्वेंसी, लोकेशन, और मूवमेंट तक की जानकारी मिल गई. अब सेना जानती थी कि कौन-सा पाकिस्तानी उपकरण कहाँ है, और कब मूव हुआ. इससे भारतीय सेना को अपनी तैनाती की योजना बनाने में बहुत मदद मिली.

सटीक निशाना साधने की क्षमता (Precision Targeting)
लंबी दूरी के हथियारों के लिए मौसम की AI आधारित रिपोर्टिंग प्रणाली का उपयोग किया गया, जिससे दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमले किए जा सके.

कॉमन सर्विलांस पिक्चर एंड टार्गेटिंग एक्विजिशन – ‘त्रिनेत्र’
‘त्रिनेत्र’ सिस्टम को प्रोजेक्ट संजय से जोड़ा गया है. प्रोजेक्ट संजय एक बैटलफील्ड सर्विलांस सिस्टम है. इसके ज़रिए ऑपरेशनल और इंटेलिजेंस लेवल पर एक साझा इंटीग्रेटेड पिक्चर तैयार की गई, जिसे तीनों सेनाओं के कमांडर एक साथ देख पा रहे थे. इससे युद्ध संचालन की योजना बनाना और उसे अंजाम देना बेहद आसान हो गया. ग्राउंड से लेकर ऑपरेशन रूम तक सभी एक जैसे दृश्य देख रहे थे और रियल टाइम में निर्णय ले रहे थे.

AI आधारित खतरे की भविष्यवाणी प्रणाली
AI आधारित प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स ने समय, स्थान और संसाधनों के जटिल संतुलन में मदद की. मल्टी-सेंसर और मल्टी-सोर्स डेटा फ्यूजन तकनीकों से अलग-अलग स्रोतों से प्राप्त जानकारी को रीयल टाइम में जोड़ा गया. इससे कमांडरों को बैटलफील्ड की लाइव स्थिति को समझने और तेजी से फैसला लेने में सुविधा मिली.

सेना की डिजिटलीकरण की पहल

  • डेटा गवर्नेंस नीति को पूरे भारतीय सेना में लागू किया गया.
  • प्रोजेक्ट संजय – बैटलफील्ड सर्विलांस सिस्टम को उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर लागू किया गया.
  • प्रोजेक्ट अवगत को संपूर्ण भारतीय सेना में लागू किया गया.
  • दो वर्षों में 70 डिजिटल एप्लिकेशन विकसित किए गए.
  • डेटा डिक्शनरी और सिंगल सोर्स ऑफ ट्रुथ प्रणाली को अपनाया गया.
  • 1200% तक यूज़र्स की वृद्धि दर्ज की गई.
  • डेटा लोकतंत्रीकरण की दिशा में कदम उठाते हुए सेना अब डेटा-केंद्रित सेना के रूप में विकसित हो रही है.

AI रिसर्च एंड डेवलपमेंटभारत के अप

  • ने लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) और स्मॉल लैंग्वेज मॉडल (SLM) का विकास किया गया.
  • “जिज्ञासा” – सैन्य जनरेटिव AI मॉडल का विकास किया गया.
  • AI-as-a-Service प्लेटफ़ॉर्म की स्थापना की गई.
  • AI इनक्यूबेशन और रिसर्च सेंटर का संचालन शुरू हुआ.
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