सूत्रों ने बताया कि इस स्क्वाड्रन का संचालन चंडीगढ़ स्थित बीएसएफ के पश्चिमी कमान मुख्यालय में स्थित एक नियंत्रण कक्ष द्वारा किया जाएगा. बीएसएफ का मुख्य कार्य भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा की रक्षा करना है. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद सीमा सुरक्षा बल की ताकत, कमजोरियों और खतरों की हाल ही में समीक्षा के बाद यूनिट के गठन का निर्णय लिया गया.
सात मई को शुरू किए गए इस अभियान में बीएसएफ ने सेना के साथ सक्रिय रूप से भाग लिया. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जवाब में पाकिस्तान ने पश्चिमी सीमा पर भारतीय ठिकानों के साथ-साथ नागरिक इलाकों को निशाना बनाने के लिए हजारों ड्रोन भेजे. दस मई को, विस्फोटक से लदे एक पाकिस्तानी ड्रोन ने जम्मू के आरएस पुरा सेक्टर में खारकोला सीमा चौकी पर विस्फोटक गिराए. इस घटना में चौकी पर तैनात बीएसएफ के दो जवान और सेना का एक जवान शहीद हो गया, जबकि चार जवान गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनमें से एक का इलाज के दौरान पैर काटना पड़ा.
उन्होंने बताया कि लगभग 2-3 कर्मियों की एक छोटी टीम को ‘असुरक्षित और खास’ सीमा चौकियों पर तैनात किया जाएगा. पहले स्क्वाड्रन के लिए कुछ ड्रोन और उपकरण खरीदे जा रहे हैं और इस कार्य के लिए चुने गए कर्मियों को जत्थों में प्रशिक्षित किया जा रहा है. दस मई के ड्रोन हमले से सबक लेते हुए बीएसएफ ने पाकिस्तान के साथ लगी सीमा के पास सुरक्षा व्यवस्था और बंकरों को मजबूत करना शुरू कर दिया है, ताकि दुश्मन के ड्रोन द्वारा सीमा पार कर बम और विस्फोटक गिराने वाले हमलों को रोका जा सके.
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