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ISRO की स्पेस में बड़ी कामयाबी, पहली बार दो सैटेलाइट की कराई डॉकिंग


इसरो ने एक बार फिर भारत का सिर ऊंचा किया है.

ISRO Large Achievement: इसरो ने दो उपग्रहों को जोड़ने से संबंधित अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग (स्पेडेक्स) कराने में बड़ी कामयाबी पाई. स्पेडेक्स एक महत्वपूर्ण परियोजना है, जिसे दो छोटे उपग्रहों का उपयोग करके अंतरिक्ष यान के मिलान, डॉकिंग और अनडॉकिंग के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी को विकसित करने और प्रदर्शित करने को लेकर तैयार किया गया है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने अपने महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग (स्पेडेक्स) के दौरान उपग्रहों के बीच विचलन पर काबू पा लिया है और अंतरिक्ष यानों को एक-दूसरे के करीब आने के लिए धीमी गति से विचलन की मुद्रा में रखा गया है. इसरो के मुताबिक, प्रयोग के शुक्रवार को आरंभिक स्थिति में पहुंचने की उम्मीद है.

स्पेडेक्स प्रयोग अंतरिक्ष डॉकिंग में भारत की क्षमताओं को आगे बढ़ाने में एक मील का पत्थर साबित होगा. अंतरिक्ष डॉकिंग उपग्रह सर्विसिंग, अंतरिक्ष स्टेशन संचालन और अंतरग्रहीय मिशन सहित भविष्य के अंतरिक्ष मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी है.

भारत अंतरिक्ष डॉकिंग प्रौद्योगिकी वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है.

पीएसएलवी सी60 रॉकेट ने दो छोटे उपग्रहों- एसडीएक्स01 (चेजर) और एसडीएक्स02 (टारगेट) तथा 24 पेलोड को लेकर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम लॉन्चपैड से उड़ान भरी थी. प्रक्षेपण के लगभग 15 मिनट बाद, लगभग 220 किलोग्राम वजन वाले दो छोटे अंतरिक्ष यान को 475 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में छोड़ दिया गया था.

क्यों है ये इतना महत्वपूर्ण

इसरो के अनुसार, स्पेडेक्स मिशन दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग करके अंतरिक्ष में डॉकिंग के प्रदर्शन के लिए एक लागत प्रभावी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन है. यह प्रौद्योगिकी भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं जैसे कि चंद्रमा पर भारत, चंद्रमा से नमूना वापसी, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) का निर्माण और संचालन आदि के लिए आवश्यक है.




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