News Journals

Karur Stampede Victim: करूर भगदड़ में भीड़ ने मेरी मां की छाती और गले को दबा दिया था, उनके बिना घर सुना हो गया; बेटी का छलका दर्द


Final Up to date:

Karur Stampede: करूर में विजय की चुनावी रैली में भगदड़ से 40 मौतें हुईं. महेश्वरी की जान दूसरों को बचाते हुए गई. परिवार और जनता ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं.

महेश्वरी के पति साक्थिवेल ने कहा कि इतनी बड़ी सभा करने की जरूरत क्यों थी. (आईएएनएस)

चेन्नई. तमिलनाडु के करूर में अभिनेता और तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) के अध्यक्ष विजय की चुनावी रैली के दौरान हुई भगदड़ में 40 लोगों की मौत हो गई, जिसमें से अपनी मां को खोने वाली एक महिला ने कहा कि मैंने देखा कि भीड़ मेरी मां को आंखों के सामने ही कुचल रही थी.

महिला ने आईएएनएस से कहा, “मैं और मेरी बहन विजय की गाड़ी के पास गिर गए थे, और मेरी मां मुझे बचाने आईं, लेकिन वह भीड़ में फंस गईं. कई लोग विजय की गाड़ी के पास पहुंचने के लिए आगे बढ़े थे. मैं सांस नहीं ले पा रही थी और मुझे बाहर निकलने में एक घंटे से ज्यादा का समय लगा. मैंने अपने जूते उतारे और किसी तरह धक्का देकर बाहर निकली. मैंने देखा कि भीड़ मेरी मां को आंखों के सामने ही कुचल रही थी. मैंने कई बार मदद की मांगी, लेकिन कोई मेरी मदद के लिए नहीं आया. काश उन्हें थोड़ा पहले बचा लिया जाता तो शायद मेरी मां बच जातीं. भीड़ ने उनकी छाती और गले को दबा दिया था.”

मृतक महेश्वरी के बेटे प्रशांत ने कहा, “शनिवार को मेरी मां मंदिर गई थीं. मंदिर से लौटते वक्त उन्होंने विजय के चुनावी अभियान को देखने के लिए थोड़ी देर रुकना चाहा. दुर्भाग्यवश, उसी समय भीड़ में भगदड़ मच गई. सभी लोग आगे बढ़ने लगे और मेरी मां भी भीड़ के साथ खिंचती चली गईं. मेरी बहन और उसका बच्चा भी उसी भीड़ में फंस गए. जब मेरी मां ने उन्हें बचाने की कोशिश की तो वह खुद दब गईं और उनका निधन हो गया.”

प्रशांत ने अपने अंतिम शब्दों में कहा, “मां के बिना हमारा घर सुना है. वह दयालु महिला थीं, जिन्होंने अपनी जान दूसरों की रक्षा में खो दी. हमें उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए बेहतर इंतजाम किए जाएंगे.”

महेश्वरी के पति साक्थिवेल ने कहा, “क्या उन्हें वाकई इस तरह की सभा की जरूरत है? क्या इसे इतनी छोटी जगह में आयोजित करना जरूरी था? मेरी पत्नी को इतने सारे लोगों के पैरों तले कुचलकर मरना पड़ा. अगर इसका अंत ऐसे ही होगा तो कुछ हासिल करने का क्या मतलब है?” यह घटना करूर की जनता के लिए एक बड़ा सदमा साबित हुई है. लोग इस तरह के आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठा रहे हैं.

Rakesh Ranjan Kumar

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h…और पढ़ें

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h… और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homenation

‘भीड़ ने मेरी मां की छाती और गले को दबा दिया था, उनके बिना घर सुना हो गया’



Source by [author_name]