नई दिल्ली:
ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद से दुनियभर में उथल-पुथल मची हुई है. राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान किये गए चुनावी वादों को अपने कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही पूरा करते हुए जिस रफ़्तार से आगे बढे़, उसने पूरी दुनिया में एक ट्रेड वार की शुरुआत कर दी, जिसमें अमेरिका सहित सभी देशों पर रेसिप्रोकाल टैरिफ लगाने की बात करता हुआ नज़र आया. कनाडा को लेकर अमेरिका का रुख हो या फिर रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग को रोकने का ट्रंप का प्लान हो, सभी पर वो एक साथ काम करते हुए नज़र आये.
यू टर्न ले रहे ट्रंप!
लेकिन वो कहते हैं न कि बोलना आसान है और करना मुश्किल… ठीक कुछ वैसा ही ट्रंप के केस में भी नज़र आता है. वो डोनाल्ड ट्रंप, जो चुनाव प्रचार के दौरान कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने का प्रस्ताव देते हुए नज़र आते थे, वो डोनाल्ड ट्रंप जो चुनाव जीतते ही कनाडा पर भारी टैरिफ का ऐलान करते हैं, वही डोनाल्ड ट्रंप अब यूटर्न लेते हुए पूरी दुनिया में नज़र आ रहे हैं. ये जगज़ाहिर है कि ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद से कनाडा और अमेरिका के बीच ‘ट्रेड वॉर’ शुरू हो गया है. हाल ही में कनाडा के ओंटारियो प्रांत ने अमेरिका के मिनेसोटा, न्यूयॉर्क और मिशिगन राज्यों में बिजली निर्यात पर 25% शुल्क बढ़ाने की घोषणा की थी, जिससे लगभग 1.5 मिलियन अमेरिकी उपभोक्ता प्रभावित होंगे. ओंटारियो के प्रीमियर डग फोर्ड ने साफ-साफ कहा था कि यदि अमेरिका ने टैरिफ बढ़ाया, तो वह अमेरिका को बिजली की आपूर्ति पूरी तरह से बंद कर सकते हैं.


कनाडा पर टैरिफ बढ़ाने का पलटा फैसला
कनाडा की इस धमकी के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा के स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% करने का ऐलान कर दिया था. ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए कहा था कि यह टैरिफ वृद्धि 12 मार्च से लागू होगी. लेकिन जैसे ही इस फैसले को लागू करने का दिन आया, वैसे ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार बयान पीटर नवारो ने कहा कि कनाडा के स्टील और एल्युमीनियम आयात पर टैरिफ को दोगुना कर 50 फीसद करने की योजना को रोक दिया गया है, क्योंकि दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध के कारण भ्रम और अनिश्चितता बनी हुई है.


बैकफायर हुई ‘टैरिफ गन’?
आइए अब आपको समझाते हैं कि अपने ही कहे पर आखिर ट्रंप क्यों नहीं कायम रह सके और क्यों हम कह रहे हैं कि बोलना आसान होता है और करना मुश्किल. दरअसल, ट्रंप के टैरिफ लागू करने का फैसला बैकफायर होता दिख रहा है. अमेरिका बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई है और चीन और कनाडा ने अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाने कि घोषणा कर दी है. ट्रंप सरकार यह बात अच्छी तरह से समझती है कि अगर वास्तविक तौर पर ऐसा हुआ तो अमेरिका में महंगाई बढ़ेगी और उन्हें लोगों के विरोध का सामना करना पड़ेगा और यही कारण है कि उन्होंने अपने फैसले पर ही यू-टर्न ले लिया.
पहले तू-तू मैं-मैं, फिर अब क्यों पड़े नर्म?
कनाडा ही नहीं अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप, यूक्रेन के मामले पर पलटते नजर आ रहे हैं. वाइट हॉउस के ओवल ऑफिस में मीडिया के जमावड़े के सामने ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच हुई कहासुनी के बाद अमेरिका ने तुरंत यूक्रेन को सैन्य सहायता देने के साथ ख़ुफ़िया जानकारी साझा करने पर भी रोक लगा दी थी. मंगलवार को राष्ट्रपति ट्रंप प्रशासन ने कहा कि वह यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता और कीव के साथ खुफिया जानकारी साझा करने पर लगा अपना प्रतिबंध तुरंत हटा लेगें. अमेरिका ने यह कदम करीब एक सप्ताह पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को रूसी सेना के साथ युद्ध समाप्त करने के मद्देनजर वार्ता में शामिल होने का दबाव डालने के लिए उठाया था. यह घोषणा सऊदी अरब में यूक्रेन और अमेरिका के बीच वार्ता के दौरान की गई. यूक्रेन ने यह भी कहा कि वह रूस के साथ युद्ध में 30 दिन के संघर्ष विराम के लिए तैयार है, जो क्रेमलिन समझौते के अधीन होगा.


ट्रंप के यू-टर्न की 2 वजह
आइये अब ट्रंप के इस यू-टर्न के पीछे की भी वजह समझ लीजिये. दरअसल, इसके पीछे दो वजह हैं. पहली वजह- ट्रंप यह बात समझ गए हैं कि रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध कि समाप्ति को लेकर कोई भी समझौता तब तक नहीं हो सकता, जब तक इसमें यूक्रेन को शामिल नहीं किया जाएगा. यूक्रेन को बातचीत के टेबल पर लाने के लिए ट्रंप सरकार अपने ही कहे से पीछे हटने पर मजबूर हुई. दूसरी बड़ी वजह- ट्रंप के इस यू-टर्न की वजह आप उस समझौते को भी मान सकते हैं, जो अमेरिका और यूक्रेन के बीच होने वाला था, जिसके लिए जेलेंस्की वाइट हाउस पहुंचे थे. यूक्रेन से अमेरिका रेयर अर्थ मिनिरल्स को लेकर डील करना चाहता है. वहीं जेलेंस्की इस समझौते के पीछे ट्रंप सरकार से यूक्रेन के सुरक्षा कि गारंटी चाहते हैं और यह तभी संभव होगा, जब दोनों देश के बीच रिश्ते खुशनुमा होंगे और अमेरिका सैन्य सहायता और खुफिया जानकारी साझा करके एक बार फिर रिश्तों को ट्रैक पर लाने की कोशिश करता नजर आ रहा है.
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