15.1 C
Indore
Monday, December 23, 2024
Home India News एक लेख - देश के ज्वलंत समस्या - बेरोजगारी और गरीबी के...

एक लेख – देश के ज्वलंत समस्या – बेरोजगारी और गरीबी के अवलोकन तथा समाधान हेतु !

आज हम 21वी सदी के पायदान पे खड़े  होकर देश को ऊंचाइयों के शिखर पे लेजाने का ख्वाब देखते हैं तो ये मात्र देश के चुनिंदे कुछ लोगों के विश्व के अमीरों में नामजद होने मात्र से नहीं होगा !
ये कटु सत्य हैं कि गरीबो की खून से सिंच कर लाई गई अमीरी कुछ लोगों को तो अमीर बना सकती हैं पूरे देश को नहीं !

पर वास्तविकता यही हैं कि अबतक 20 वी सदी से 21वी सदी तक कुछ अमीर ज्यादा अमीर हुए हैं और बहुत सारे गरीब ज्यादा गरीब हुए हैं और यही कारण हैं कि देश गरीब देशो के पंक्ति में अबतक देश के आजादी के 73 साल बाद भी अपार जन शक्ति और खनिज सम्पदा के होने के बावजूद खड़ा हैं !

पर अब जो देश को एक अच्छा नेतृत्वा मिला हैं और देश में बहुत सारे सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा हैं पर यह भी सच हैं कि अमीरों कि पीठ अब भी थपथपाई जा रही हैं साथ ही गरीबो को मुफ्त भोजन भी दिलाई जा रही हैं ! इस कोरोना महामारी के माहौल में जब करोड़ो लोगो का आय का श्रोत बंद हैं ये ठीक हैं, पर ज्यादा दिनों तक ना ही ये संभव हैं ना ही उचित हैं ! हमें जनता को आत्मनिर्भर बनाना हैं ना कि भिखारी !

पता नहीं क्यों गरीब और उनकी गरीबी सिर्फ हमारे देश में ही नहीं बल्कि कई अन्य देशो में, एक राजनैतिक मुद्दा हैं और राजनेता इसे भुनाने के लिये बनाये रखना चाहते हैं पर ये भी कटु सत्य हैं कि जिन देशो ने इस पद्धति को अपनाया वे सारे देश आज भी गरीब हैं !

हमें दुख होता हैं कि देश कि आजादी के बाद राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के कुटीर उद्योग के परिकल्पना कि अवहेलना कि गई जो कि देश से बेरोजगारी और गरीबी हटाने का एकमात्र विकल्प था और हैं !

ये तो सर्व विदित हैं कि  एक बड़े उद्योग को लगाने के लागत में कम से कम 1000 कुटीर उद्योग लगाए जा सकते हैं और 100 गुना ज्यादा लोगों को रोजगार दी जा सकती हैं  तो क्यों नहीं इस ओर ध्यान दिया जाता ! साफ हैं इसके सिर्फ राजनैतिल कारण ही हो सकते हैं !

आर्थिक द्रिस्टिकोंड से भी अगर देश के कुल बड़ेउद्योग के सामूहिक आय कि तुलना कुटीर उद्योग के अभाव में विदेशो से आयात किये गए सामानो पर कियेगये खर्च से कि जाये तो पता चलेगा हम क्या कर रहें थे ! पर कौन करेगा इस बात पे चिंतन !

इस बुद्धिजीवी लेखक के लेख को पढ़कर साधारण जनता हामी तो भर सकती हैं पर सकारात्मक बदलाव नहीं ला सकती जबतक ये विचार एक सामूहिक विचार
क्रांति का रूप ना लेले ! बिना राष्ट्र और राजनेता के सहयोग से गरीब अपने गरीबी रेखा से निश्चित रूप से बाहर आ सकता हैं भलेही देर हो !
हाँ अगर सत्ता यानि सरकार का सहयोग मिलजाए तो  निश्चित रूप से इस देश से बेरोजगारी और गरीबी का उन्मूलन पूर्ण रूप से मात्र 10 वर्षो में किया जा सकता हैं चौंक गए ना?

चौकना लाजमी हैं, पर यक़ीन कीजिये ये सत प्रतिशत सही हैं अगर  सरकार का पूर्ण सहयोग मिले तो !
मै तो NewsJournals.in का तहेदिल से आभारी हूँ जिन्होंने मेरे इस लेख को प्रकाशित कर मेरे इस भावना को जनमानस तथा देश के अग्रज तक पहुँचाया !

मेरा अगला लेख इसी कड़ी को जोड़ते हुए देश को अगले 10 सालो में बेरोजगारी और गरीबी से निजात  दिलाने के कार्य पद्धति का होगा !
मुझे मालूम हैं मेरा ये लेख आपके बेरोजगारी और गरीबी के दर्द को शायद ही कम कर पाये पर कुछ मायनो में दर्द का एहसास जरुरी हैं, उसी सन्दर्भ में मेरी ये कविता आपलोगों को समर्पित हैं !

दर्द का एहसास ! – https://bit.ly/3jMVBhN

Written by Renowned Poet and Writer of India – Mr. Anil Sinha
To Read Anil Sinha Poems visit website – http://dilkibaatein.world/


Discover more from News Journals

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Most Popular

New app to provide seamless access to loans for people with disabilities

A cell utility to offer seamless entry to loans for disabled entrepreneurs and people was launched on Sunday. The app, launched on the...

Transcript: Alejandro Mayorkas on

The next is the complete transcript of an interview with Homeland Safety Secretary Alejandro Mayorkas on "Face the Nation with Margaret Brennan" that...

Tea For Rs 10 At Kolkata Airport Soon, Raghav Chadha Says “Change Brewing”

<!-- -->AAP MP Raghav Chadha in parliament raised concern of overpriced meals at airportsNew Delhi: Aam Aadmi Social gathering (AAP) MP Raghav Chadha...

Recent Comments