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Monday, July 7, 2025
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क्या भारत को अमेरिका से खरीदना चाहिए एफ 35 विमान?


अमेरिकी F-35 और रूसी SU-57 के मुकाबले आप भारत के पांचवें एयरक्राफ्ट एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) को कहां पाते है? NDTV इंडिया के इस सवाल पर एमका को बनाने वाले प्रोजेक्ट डायरेक्टर कृष्णा राजेन्द्रा नीली ने कहा- “हमारा एयरक्राफ्ट अच्छा है “. यह जवाब आज की तारीख में बहुत मायने रखता है. क्योंकि आज हर जगह एक ही बात की चर्चा हो रही है कि अब भारत को अमेरिका से पांचवीं जेनरेशन का एयरक्राफ्ट F-35 खरीद लेना चाहिए. वह भी तब जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प ने भारत को यह एयरक्राफ्ट ऑफर किया है. वहीं रूस ने एक कदम आगे बढ़कर यह कहा है कि अगर भारत उसका पांचवीं पीढ़ी का SU-57 खरीदने का फैसला करता है तो वह भारत को इस विमान के बनाने की तकनीक के साथ-साथ भारत में ही उत्पादन करने को तैयार है. 

भारत के पास लड़ाकू विमानों की कमी 

यह सही है कि भारत के पास फिलहाल लड़ाकू विमानों की बहुत कमी है. वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह कई बार खुलकर इस मुद्दे पर अपनी बात रख चुके हैं. पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान का होना किसी भी देश की सुरक्षा के लिए काफी मायने रखता है. खास तौर पर उस हालात में और भी जब आपके प्रतिद्वंदी के पास ऐसे फाइटर जेट पहले से ही मौजूद हों.

चीन अब छठी पीढ़ी पर कर रहा काम 

चीन के पास तो पांचवीं पीढ़ी के एयरक्राफ्ट हैं ही, अब तो वह छठी पीढ़ी के एयरक्राफ्ट J-36 पर काम कर रहा है. खबर यह भी है कि जल्द ही चीन अपनी पांचवीं पीढ़ी का एयरक्राफ्ट J-20 पाकिस्तान को देगा. ऐसे में भारत अपनी तात्कलिक जरूरत को कैसे पूरा करें. वैसे अगर भारत अमेरिका या रूस से उनके पांचवीं पीढ़ी के एयरक्राफ्ट को खरीदने का कोई फैसला करता है तो कम से कम सात से दस साल के बाद ही यह एयरक्राफ्ट भारत को मिल पाएगा.  

अब जरा इन विमानों की खासियत की बात कर लें. सबसे पहले बात करते हैं अमेरिकी F-35 लड़ाकू विमान की. 

अमेरिकी एयरक्राफ्ट F-35 की खासियतें

अमेरिका की लॉकहीड मार्टिन कंपनी F-35 बनाती है. यह एक सिंगल इंजन, सिंगल सीटर स्टील्थ विमान है. यानि दुश्मन के रडार इसे आसानी से पकड़ नहीं सकते. अब तक एक हजार से ज्यादा एफ 35 का प्रोडक्शन हो चुका है. इसकी रफ्तार करीब दो हजार किलोमीटर प्रतिघंटा है. यह एक साथ कई टारगेट को हिट कर सकता है. इतना ही नहीं यह दिन और रात के साथ किसी भी मौसम में ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है. 

अमेरिका की पांचवीं पीढ़ी की एयरक्रॉफ्ट F-35.

अमेरिका की पांचवीं पीढ़ी का एयरक्राफ्ट F-35.

अमेरिकी एयरक्राफ्ट F-35 की निगेटिव चीजें

इतनी खूबियों के बावजूद इसका नकारात्मक पक्ष यह है कि यह विमान बहुत ही मंहगा है. रखऱखाव का खर्चा भी कम नहीं है. अमेरिकी सरकार का गर्वनमेंट अकाउंटिबिलिटी ऑफिस ही विमान पर होने वाले खर्चे पर सवाल उठा चुका है. इलॉन मस्क तो अपने एक्स पर एफ 35 को  लिख चुके है कि कुछ बेवकूफ अभी भी F-35 जैसे लड़ाकू जेट बना रहे है.

रूसी एयरक्राफ्ट SU-57 की खासियतें

अब अगर पांचवीं पीढ़ी के रूसी एयरक्राफ्ट SU-57 की बात करें तो यह डबल इंजन, सिंगल सीटर और स्टील्थ तकनीक से लैस मल्टी रोल फाइटर है. इसमें लंबी दूरी के साथ छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलें तैनात है. स्पीड इसकी भी करीब दो हजार किलोमीटर प्रतिघंटा है. यह भी एक साथ कई टारगेट को इंगेज कर सकता है.

रूसी एयरक्रॉफ्ट SU-57.

रूसी एयरक्राफ्ट SU-57.

यूक्रेन युद्ध में रूसी एयरक्राफ्ट SU-57 ने दिखाया अपना दम

यूक्रेन युद्ध में इस मिसाइल ने अपनी काबिलियत को साबित कर दिखाया है. विमान में दो इंजन लगे हैं. एक इंजन के फेल होने पर भी पायलट इस विमान को सुरक्षित उतार सकते हैं. सबसे बड़ी बात यह भी है कि यह विमान एफ 35 की तुलना में काफी सस्ता है. पहले भारत भी रूस के साथ इसी विमान को बनाने की प्रकिया में शामिल था, परंतु बाद में कुछ वजहों से इससे वह बाहर निकल गया.  

हालांकि F-35 और SU-57 के बीच कोई सटीक तुलना तो नहीं की जा सकती. पर जानकारों के मुताबिक दोनों विमानों के रोल में बड़ा अंतर है. कुछ एक्सपर्ट F-35 को अटैक करने वाला फाइटर मानते हैं. दुश्मन के घर में घुसकर हमला करने में इसका कोई जवाब नहीं है. 

SU-57 अच्छा डिफेंस करने वाला लड़ाकू विमान 

वहीं SU-57 को अच्छा डिफेंस करने वाला लड़ाकू विमान कहा जाता है. अर्थात दुश्मन के जहाज को इंटरसेप्ट करना और उसको अपने इलाके में घुसने ही ना देना और अगर घुसा तो उसे मार गिरा देना. यहां यह भी देखना होगा कि भारत अब तक पहले हमला नहीं करने की नीति पर अमल करता है. मतलब साफ है कि हम अटैक के बजाय डिफेंसिव रोल में ज्यादा रहते है.

अब बात भारतीय पाचंवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एमका की

F-35 और SU-57 की कहानी तो आपने जान ली. अब जरा भारत के पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान की बात कर लें. पिछले हफ्ते बेंगलुरु में हुए एयर शो में एमका का फुल साइज मॉडल दिखाया गया. इसकी रफ्तार करीब 2500 किलोमीटर प्रतिघंटा है. सिंगल सीटर और डबल इंजन वाला है. मल्टीरोल तो है ही. अटैक के साथ डिफेंस भी कर सकता है.

भारत की पांचवीं पीढ़ी का एयरक्राफ्ट एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA).

भारत की पांचवीं पीढ़ी का एयरक्राफ्ट एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA).

भारतीय पाचंवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एमका की खासियतें

यह विमान 10 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है. सबसे बड़ी बात यह विमान भारतीय वायुसेना की जरूरतों के हिसाब से तैयार हो रहा है. इसमें 11 हार्ड प्वाइंट बने हैं यानि 11 तरह के हथियार इसमें लगाए जा सकते हैं. इसमें ज्यादतर वेपन अंदर होते हैं, जो बाहर से दिखाई नहीं देते. 

एमका की पहली उड़ान 2028 में होगी. सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो 2034 में भारत का अपना पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना में शामिल हो जाएगा.

 HAL को छोड़कर भारत में कोई दूसरी कंपनी नहीं जो इसे बना सके 

लेकिन यह सब इतना आसान नहीं है. वायुसेना के पास अपना देसी लड़ाकू हो इससे अच्छी बात तो और कुछ हो ही नहीं सकती. हालांकि अभी तक यह फाइनल नहीं है कि DRDO का यह लड़ाकू विमान कौन बनायेगा? इसके बावजूद हिन्दुस्तान एरोनेटिक्स लिमिटेड (HAL) को छोड़कर फिलहाल भारत में ऐसी कोई कंपनी नहीं है जो लड़ाकू विमान बना सकें. 

तेजस की लेट डिलिवरी से एचएएल पर रिकॉर्ड खराब

वैसे HAL का पिछला ट्रैक रिकार्ड भी अच्छा नहीं है. वायुसेना को वह तेजस लड़ाकू विमान की डिलिवरी समय पर वह नहीं दे पा रही है. जिसको लेकर वायुसेना प्रमुख नाराजगी जता चुके हैं. सेन्टर फॉर एयर पावर स्टडीज के पूर्व डीजी एयर मार्शल अनिल चोपड़ा कहते हैं कि एमका सही समय पर वायुसेना को मिल पाए, इसके लिये जरूरी है PMO इसकी निगरानी करें ताकि कही कोई लेटलतीफी न हो.

यहां यह भी देखना जरूरी है कि कही अमेरिकी या रुसी पांचवीं पीढ़ी के विमान लेने के चक्कर में हमारा पांचवी पीढ़ी का विमान पीछे न रह जाए. कही बाहर से पांचवीं पीढ़ी के एयरक्राफ्ट खरीदने से हमारे एमका पर प्रतिकूल असर न पड़े. इससे हमारे रक्षा क्षेत्र में जारी आत्मनिर्भरता पर भी असर पड़ेगा. 

साथ ही यह भी देखना होगा कि पांचवीं पीढ़ी के एयरक्राफ्ट के बिना क्या वायुसेना मौजूदा चुनौतियों का सामना कर पाएगी? कहीं हम अपनी सुरक्षा से समझौता तो नहीं कर रहे हैं. खैर जो भी फैसला लिया जाए, बहुत सोच समझकर लिया लिया जाए ताकि बाद में पछताना न पड़े.

लेखक-  राजीव रंजन, NDTV इंडिया में Defence & Political Affairs के एडिटर हैं. 

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.



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