पूर्वी लद्दाख में सोमवार को भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प काफी खतरनाक थी. जिसमें दोनों ही पक्षों का काफी नुकसान पहुंचा है. झड़प में जहां एक ओर भारत के 20 जवानों की जानें चली गई वहीं चीन के भी 48 जवानों के हताहत होने की खबर है. सेना ने बयान दिया है कि झड़प के बाद से दोनों सेनाएं अलग हैं. इस बीच लेह में सिविल अस्पताल के बाहर अपनी जान कुर्बान करने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकजुट हुए.
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बुद्धिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अस्पताल के बाहर श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे थे. उन्होंने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, ‘ हिंसक झड़प में भारतीय जवानों की जानों का जो नुकसान हुआ है वह बेहद दुखद समाचार है. जैसे ही पता चला कि जवानों के शवों को यहां लाया गया है तो हम श्रद्धांजलि देने पहुंचे हैं.’ उन्होंने कहा कि चीनी सैनिक बीच-बीच में लद्दाख में घुसपैठ करते रहते हैं. भारत सरकार ने बीते वक्त में कोई ठोस कदम नहीं उठाए इसलिए स्थिति ऐसी है. अगर समय रहते भारत सरकार यहां कदम उठाती तो आज यह स्थिति होनी नहीं थी.
उन्होंने कहा, ‘हर साल चीनी आते हैं और भारतीय भूक्षेत्र में अंदर घुसकर अपना दावा पेश करते हैं. स्थिति यह है कि हालात बेकाबू हैं. इस बार झड़प हुई है. अक्साई चिन को चीन पहले ही कब्जा चुका है और अब भारतीय क्षेत्र में घुस रहा है. सीमा स्पष्ट न होने से स्थिति खराब हो चली है. आलम यह है कि चीन स्थिति का गलत फायदा उठा रहा है और आज भारत के 20 जवानों की जान चली गई है.’
लद्दाख के स्थानीय लोगों का कहना है कि सीमा विवाद का कोई स्थायी समाधान होना चाहिए. लद्दाखी चाहते हैं कि अभी भी अगर कुछ नहीं किया गया तो स्थिति और भी खराब हो जाएगी. लद्दाख के लोग चाहते हैं कि भारत चीन को इस कार्रवाई का माकूल जवाब दे.
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